It’s a joy to have Prakash, founder of CFP, curating a poem in hindi on poetly today - Vinod Kumar Shukl’s Hatasha
हताशा व्यथित करने वाला भाव है, मायूसी और नाउम्मीदी से भर देने वाला. लेकिन हताशा में भी कहीं आशा की ध्वनि निहित है. वो ध्वनि, आपसदारी है. उसी हताशा को दूर करती आपसदारी को बयाँ करती विनोद कुमार शुक्ल की यह कविता घंटों हुई बारिश के बाद हल्की-सी निकली धूप की तरह है. निर्मल!

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